हमारी भाग दौड़ भरी लाइफ स्टाइल और खानपान की गलत आदतो की वजह से हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता हैं । स्वास्थ्य का ठीक से ख्याल न रखने की वजह से हमारे शरीर में तनाव थकान चिड चिड़ाहट जैसी कई मानसिक और शारीरिक बीमारिया घेर लेती हैं ।
जिससे हमारा तन मन दूषित हो जाता हैं । इसके साथ ही शरीर भी बेडोला हो जाता हैं । शुरू में हम अपने शरीर और स्वास्थ्य पर पुरा ध्यान नही देते जब पानी सिर से उपर निकल जाता हैं तो हमें योग और प्राणायाम ध्यान आता हैं और फिर शरीर को फिट और बिमारियों से मुक्त रखने के लिए हम योग का सहारा लेते हैं । योग अब सम्पुर्ण संसार में चर्चा में आ गया है।
यह एक ऐसी विधा हैं जिसमें हम बिना खर्च कर इसे अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरे विश्व में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी मनाया जाता हैं । संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग की महत्वता को स्वीकार करते हुए माना कि योग मानव स्वास्थ्य व कल्याण की दिशा में एक संपूर्ण और अच्छा नजरिया हैं ।
योग हजारो साल से भारतीयो की जीवन शैली का हिस्सा रहा हैं । ये भारत की धरोहर हैं योगासन का सबसे बड़ा लाभ यह हैं कि वे सहज सरल और सुलभ हैं यह अमीर गरीब सबके लिए बराबर हैं । योगासनों में जहा मांसपेषियो को तानने सिकोड़ने और ऐंठने वाली शारीरिक क्रियाए। वही दूसरी ओर तनाव खिंचाव दुर करने वाली क्रियाए करनी पड़ती हैं ।
इससे शारीरिक थकान मिटने के साथ साथ आधुनिक जीवन शैली की विभिन्न बिमारियो से भी मुक्ति मिलती है इससे शरीर पुष्ट होने के साथ पांचन संस्थनो मे विकार उत्पन्न नही होते। मोटापा कटता है। शरीर सुडौल बनता है। निष्चय ही योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है। योगासन हमारे शरीर के विकारो को नष्ट करता है। नैत्र ज्योति बढाता है। तन और मन दोनो का ध्यान रखता है। और विभिन्न बिमारियो से मुक्त रखता है।
योग की जरुरत और महत्वता को विश्व के चिकित्सको ने एक मत से स्वीकारा है और यह भी निर्विवाद रुप से माना जाता है कि विभिन्न बिमारियो से बचाव के लिए योग का उपचार वरदान साबित होगा। योग का शब्दिक अर्थ तन और मन को प्रसन्न रखना है। योग हमारे देश मे कोई नई प्रणाली नही इसे हमने अपने जीवन शैली के रुप मैं अपनाया है। प्राचीन काल मे दवाओं का उपयोग न बराबर होता था। जड़ी बुटिया और औष्धीय पौधे और योग ही प्रचलित थे जो शरीर को स्वास्थ्य रख कर निरोग बनाते थे।
योगासनो को सीखने से पूर्व आवश्यक सावधानिया भी रखनी चाहिए योगासन शौच क्रिया और स्नान से निवृत होने के बाद किया जाना चाहिए। यह समतल जमीन पर आसन बिछा के करना चाहिए। योगासन के लिए खुला व हवादार स्थान होना आवश्यक है आसन करते समय सहज और सरल रह कर चिंता नही करनी चाहिए योगासनो मे सुर्य नमस्कार सबसे उपयोगी क्रिया है। यह प्रक्रिया साधक को सम्पुर्ण व्यायाम देता है।
योग से अनेक प्रकार की बिमारिया जड़ से खत्म होती जैसे मोटापा गठिया गैस शारीरिक दर्द और पेट की विभिन्न बिमारियो का योग दुश्मन है। यह बिना खर्चे का बहुत ही उपयोगी और महत्वपूर्ण उपाय है जिसे अपना कर हम अपना जीवन खुशहाल बना सकते है।