दिल्ली कोरोना मरीजों की टैस्टिंग और कोरोना मरीजों के शवों की बे कद्री के लिए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं और दिल्ली सरकार कोरोना टैस्टिंग कम करती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले दिल्ली में हर रोज 7000 कोरोना टैस्ट होते थे जो कि घटकर 5000 रह गए हैं और साथ ही साथ यह भी कहा कि आप डॉक्टर और उनके सहयोगियों पर किसी तरह का दबाव नहीं डाल सकते। सुप्रीम कोर्ट ने यह इसलिए कहा क्योंकि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना वार्ड की दुर्दशा की वीडियो एक डॉक्टर द्वारा बनाया गया था। जिस पर दिल्ली सरकार ने उस पर एफ०आई०आर और उसका निलंबन किया था।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कई अस्पतालों में शव बाहर गैलरी में पड़े हैं और अंदर के बेड खाली हैं कोर्ट ने यह भी कहा कि एक मरीज का शव तो कूड़ेदान में पाया गया और कुछ मरीजों के मरने के बाद उनके परिवार को खबर भी नहीं की गई और वह उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके। टेस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में रोज की जाने वाली टेस्टिंग 15000 से 17000 हो गई है। इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एल०एन०जे०पी अस्पताल को नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में एम०एच०ए कि नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
दिल्ली सरकार का दावा मिनटों में आएगा कोरोना टैस्टिंग का रिजल्ट
दिल्ली सरकार के द्वारा अब टैस्टिंग के लिए साउथ कोरिया की नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है। जिसको रैपिड एंटीजन टेस्ट’ (Rapid Antigen Test) कहा जाता है। पहले कोरोना टैस्टिंग का रिजल्ट 1 से 2 दिन में आता था पर इस नई टैस्टिंग किट के कारण वह रिजल्ट 15 से 30 मिनट में आ जाता है, अगर इस किट से रिजल्ट पोस्टिव नहीं आता तो उस मरीज का आर टी पी सी टैस्ट किया जाता है और अगर मरीज का टैस्ट पोजटिव आता है तो उसको पोजटिव मान लिया जाता है। फिलहाल ICMR (Indian Council of Medical Research) ने इस किट का प्रयोग कंटेनमैंट जोन और अस्पताल या क्वारेंटाइन सैंटर में ही किए जाने की सलाह दी है। दिल्ली सरकार की इस किट के सहायता से 30 जून से रोजाना 18000 लोगो की टेस्टिंग करने की योजना है।
रैपिड एंटीजन टैस्ट’ (Rapid Antigen Test) क्या होता है और कैसे किया जाता है?
रैपिड एंटीजन टैस्ट’ (Rapid Antigen Test) करने के लिए मरीज के दोनों नाक के छिद्रों में एक ट्यूब डाली जाती है और उससे सैंपल इकट्ठा किया जाता है। फिर पास ही में इस सैंपल को टैस्ट किया जाता है।
इसका टैस्ट लगभग प्रैगनेंसी टैस्ट किट की तरह ही होता है ।
टैस्टिंग के सैंपल के बाद अगर उसमें लाल रंग की एक लकीर आती है तो टैस्ट नैगेटिव होता है पर पूरी तरह से नैगेटिव नहीं कहा जा सकता फिर उस व्यक्ति का आरटी पीसीआर टैस्ट करवाया जाता है अगर वह भी नैगेटिव आता है तो उसको नैगेटिव माना जाता है पर अगर इस किट में दो लाल रंग की लकीर आती है तो उसको कंफर्म कोरोना पॉजिटिव माना जाता है और अगर किसी तरह की कोई भी लकीर किट में नहीं आती है तो टैस्ट अमान्य होता है।