तमिलनाडु के कुछ राजनीतिक दलों की केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस नागेश्वर ने कहा कि आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है, यह एक कानून है तमिलनाडु के कुछ मेडिकल कॉलेज में ओ.बी.सी आरक्षण को ना लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के संबंध मद्रास के हाई कोर्ट में अपील की है। यह आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है। यह एक कानून है जिसकी समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए। इस मामले में 3 जजो की पीठ ने यह कहा है कि धारा 32 के तहत सिर्फ मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए याचिका दायर कर सकते हैं और इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है।
सूरत सिंह संविधानविद ने कहा सुप्रीम कोर्ट आरक्षण के खिलाफ नहीं है।
सूरत सिंह संविधानविद का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहती पर ये मामला एक राज्य का है इसलिए उन्हें हाई कोर्ट जाना चाहिए। सूरत सिंह का कहना है कि वह 16(4) संविधान की धारा के तहत राज्य सरकार इनके लिए कई तरह के कदम उठा सकती है। संविधान ने उनको यह अधिकार दिया है जिनसे वह मुख्यधारा में जुड़ सके।
सूरत सिंह का कहना है कि इंदिरा साहनी जैसे मामलों के बाद यह निश्चित तौर पर तय हो गया है कि अगर राज्य की सरकार चाहे तो वह उन्हें 50% आरक्षण मुहैया करा सकते हैं।
राजनीतिक दलों ने लगाई सुप्रीम कोर्ट में याचिका
तमिलनाडु के राजनीतिक दलों द्वारा सरकार के ओबीसी कोटे में 50 परसेंट कोटा ना दिया जाने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। उनका कहना है कि पहले यह आरक्षित सीटें तमिलनाडु सरकार के पास सुरक्षित थी पर अब इस फैसले के कारण यह केंद्र सरकार के अधीन चली गई है। उनका कहना है कि तमिलनाडु के आदिवासी क्षेत्र में शिक्षण संस्थानों में जो ओबीसी कोटा था जिसमें आदिवासियों को 100% आरक्षण था। उस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। याचिकाकर्ताओं ने पुराने 1993 के आरक्षण कानून को पूरी तरह लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की।
इस पर याचिका दायर करने वालों का कहना है कि हम आरक्षण को बढ़ाने की मांग नहीं कर रहे हैं हम तो सिर्फ जो पहले से ही तय किया गया है उसको लागू करने की मांग कर रहे हैं। कृपया सुप्रीम कोर्ट इस पर संज्ञान ले। याचिका कर्ताओं का कहना है कि वह एस.सी, एस.टी एक्ट 1993 को लागू किया जाए सुप्रीम कोर्ट के कहने पर अपनी याचिका लेकर हाईकोर्ट चले जाए इस पर सभी शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत वापस लेने और हाई कोर्ट जाने का मन बना लिया।
2006 में ओबीसी कोटे को था 27% आरक्षण
कुछ राजनीतिक दलों का कहना है कि 2006 की कानून के अनुसार ओबीसी कोटे को 27% आरक्षण का प्रावधान है पर केंद्र सरकार इन पदों को नहीं भर रही जिसके कारण उनकी लगभग 10,000 मेडिकल में दी जाने वाली सीटों से महरूम रह गए हैं। लेखक और स्कॉलर दिलीप मंडल सुप्रीम कोर्ट के बारे में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी अगर उसने इसको हाई कोर्ट में ही भेजना था। दिलीप मंडल ने यह भी कहा कि पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासियों के 100% आरक्षण में पहले भी रोक लगा दी थी।
तमिलनाडु सरकार ने हाई कोर्ट में जाने का फैसला लिया।
अब तमिलनाडु की सरकार ने इस सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद हाई कोर्ट में जाने का फैसला कर लिया है ताकि वह अपने यहां के आदिवासियों के हितों की रक्षा कर सके।