पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने शाह महमूद कुरैशी ने गुरुवार को अपने एक बयान में कहा था कि करतारपुर कॉरिडोर शिलान्यास समारोह में अपने दो केंद्रीय मंत्रियों को भेजकर साबित कर दिया कि भारत इमरान सरकार द्वारा फेंकी गूगली में आ गया है। उनकी इसी बात का खंडन करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी सारी आंतकवादी गतिविधियों को रोक नहीं देता तब तक द्विपक्षीय वार्ता की बहाली की संभावना ना के बराबर है। गौरतलब है कि इमरान खान ने करतारपुर गलियारे के लिए आधारशिला कार्यक्रम में भारत को आमंत्रित किया था लेकिन सुषमा स्वराज ने व्यस्तताओं का हवाला देकर उनके इस निमंत्रण को ठुकरा दिया था लेकिन भारत सरकार ने दो केंद्रीय मंत्रियों हरसिमरत कौर बादल और हरदीप सिंह पूरी को इस समारोह में भाग लेने भेजा था लेकिन इस बात को कुरैशी ने पाकिस्तान की गूगली बताया जिसपर सुषमा स्वराज ने पलटवार किया और कहा कि हम आपकी किसी भी गुगली में नहीं फंसे हैं बल्कि आपकी ऐसी बातों ने सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान के मन में सिखों को लेकर सम्मानजनक भावनाएं नहीं हैं, आपको केवल गूगली ही फेंकना आता है। हमारे दो मंत्री आपकी गूगली में फंसने नहीं बल्कि करतारपुर गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने गए थे। जबकि अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति बनाए रखना चाहता है, उन्हें मोदी जी से मिलकर खुशी होगी और अब पाकिस्तान के लोगों की सोच बदल चुकी है। ऐसे में कुरैशी और इमरान किसकी बात पर यकीन करें प्रश्न विचारणीय है। पठानकोट एयरफोर्स बेस पर आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से दोनो देशों के बीच की बातचीत पर रोक लगा दी गई थी ऐसे में इमरान खान की बात का भारत क्या जवाब देता है देखना बाकी है।