भारत में प्रतिभा और कौशल की कोई कमी नहीं है। इसका एक उदाहरण है गौरी मिश्रा जो कि भारत की सबसे कम उम्र की पियानो वादक हैं। गुरुग्राम के सेक्टर 46 स्थित एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा आठ में पढऩे वाली गौरी ने मात्र 4 साल की उम्र से पियानो सीखना शुरू किया और 9 साल की उम्र में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एजुकेटर्स फॉर वर्ल्ड पीस ने उन्हें सबसे कम उम्र की पियानो वादक का खिताब दिया। उन्हें चिल्ड्रन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा भी यंगेस्ट इंडियन क्लासिकल पियानिस्ट का सर्टिफिकेट दिया गया है।
भिन्न भिन्न रंगशालाओं में दे चुकी है अपनी कला की प्रस्तुति
गौरी मिश्रा वर्तमान में ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ लंदन से म्यूजिक सर्टिफिकेशन कर रही हैं और लगभग पांच साल (2015) से अलग-अलग ऑडिटोरियम में पियानो कार्यक्रम की प्रस्तुति देती आ रही हैं। मनसा स्टार अवार्ड (मुंबई), राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आइसीसीआर), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (द भारत -अतुल्य भारत), असम एसोसिएशन ऑफ कल्चर (नई दिल्ली), इंडिया हैबिटेट सेंटर, सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम, टाटा पावर डिस्ट्रीब्यूशन ऑडिटोरियम, मानेकशॉ एयरफोर्स ऑडिटोरियम आदि जैसे प्रसिद्ध स्थानों पर दर्शकों के सामने प्रस्तुति देना उनके लिए यादगार रहा। इन स्थानों पर किए गए उनके प्रदर्शन की लोगों ने बेहद सराहना की |
ए आर रहमान से मिली प्रेरणा
गौरी मिश्रा बताती हैं कि, ‘उनकी मां का संगीत से बहुत जुड़ाव रहा है। मां के अलावा, म्यूजिक लीजेंड ए.आर. रहमान से भी मैंने पियानो बजाने की प्रेरणा ली। अब तक उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय संगीतकारों के साथ अपनी कला का प्रदर्शन किया है। कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र, प्रसिद्ध फ्रांसीसी जैज पियानो वादक बेंजामिन बैरिया के साथ और दुनियाभर से आए कई राजदूतों के सामने भी उन्होंने पियानो बजाया है। गौरी मिश्रा को रिकॉर्ड सेटर- यूएसए, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स-यूएसए, एवरेस्ट बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, हाई रेंज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड, स्काई बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स, रिकॉर्ड होल्डर रिपब्लिक, यूआरएफ वल्र्ड रिकॉर्ड आदि पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी से भी प्राप्त कर चुकी है सम्मान पत्र
गौरी बताती हैं, ‘ भारतीय शास्त्रीय संगीत पर अपने नए प्रयोग के लिए मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पत्र मिल चुका है। वे कहती हैं, ‘पढ़ाई के साथ संगीत को मैनेज करना आसान नहीं होता, लेकिन स्कूल के शिक्षक, प्रिंसिपल और घरवालों की मदद से मैं ऐसा कर पाई।’ गौरी अधिक से अधिक संगीत सीखना चाहती हैं। वे मानती हैं कि संगीत एक-दूसरे से जुडऩे का सबसे शक्तिशाली माध्यम है। बड़े होकर वह वैज्ञानिक या संगीत निर्देशक बनना चाहती हैं। गौरी की एक ही ख्वाहिश है कि सभी माता-पिता अपनी लड़कियों को गर्व के साथ देखें और अपनी बेटियों को समान अवसर दें।