कभी कभी कुदरत भी जिंदगी को बड़े अजीब से मोड़ पर खड़ा कर देती है| उस 2 साल की नन्ही जान को क्या पता था की जो उसका नाम रखा गया था वो उसके लिए सार्थक सिद्ध नहीं होगा और जल्द ही इस दुनियां को अलविदा कह जायेगा|
मैं बात कर रहा हु संगरूर के एक छोटे से गांव भगवानपुरा में रहने वाले फतेहवीर सिंह की जो अपने माता-पिता की एकलौती संतान थी उसके पिता सुखमिंदर सिंह ने बताया की बहुत सालो बाद हमारे ये बच्चा हुआ था| फतेहवीर सिंह खेलते खेलते अचानक 6 जून गुरुवार को शाम 4 बजे 150 फ़ीट गहरे 9 इंच चौड़े बोरवेल में गिर गया था| उसे बचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की एक टीम, डेरा सच्चा सौदा, सिरसा के ग्रीन’स फोर्स के सेवादार, पुलिस, स्थानीय नागरिक, प्रशासन और अन्य स्वयं सेवी लोगों ने साथ में मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। पांच दिनों तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में तकनीकी अनुभव की बहुत कमी नजर आई। क्योकिं डिरेक्शन देने वाला कोई नहीं था, पहले मशीन उपकरणों का प्रयोग हुआ फिर हाथों से मिटटी निकालनी शुरू की, अर्थ मूविंग मशीन का भी प्रयोग किया पर थोड़ी देर बाद उसका तरीका बदलकर JCB मशीन से खुदाई शुरू की| मशीनों से बच्चे को कोई नुकसान ना हो इसलिए हाथो से उस कार्य को अंजाम देना शुरू किया| उसको आक्सीजन तो लगातार पहुँच रही थी पर भूख और प्यास का क्या… सब की समझ से बहार था ये काम|
हारा जिंदगी कि जंग:-
109 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मंगलवार सुबह करीब 5 बजे फतेहवीर सिंह को निकला गया लेकिन तब तक वो जिंदगी की जंग को हार चूका था| उससे जल्दी से PGI चंडीगढ़ रेफेर किया गया| जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। PGI के शव गृह में काम करने वाले व्यक्ति ने बताया जिस तरह उसका शरीर गल चूका था और गन्दी बदबू आ रही थी उससे लगता है कि इसकी मौत 2 दिन पहले ही हो चुकी थी|
राजनीती शुरू:-
बच्चे की मौत के बाद गुस्साए ग्रामीण लोग कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और जगह जगह धरने पर बैठ कर सरकार की ढीली कार्यवाही और आपात स्थिति से निपटने के लिए जरुरी तकनीक की कमी को कोस रही हैं| मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (पंजाब) ने अपने ट्वीट में फतेहवीर की मौत पर दुख जताते हुए कहा की “हमे नन्हे फतेहवीर की मौत का बेहद दुःख है वाहेगुरु पीड़ित परिवार को दुःख से उबरने की शक्ति दे” और सभी जिला क्लेक्टरों से सभी खुले पड़े बोरवेल की रिपोर्ट मांगी है तांकि आने वाली समय में ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके|
दुःख इस बात का है कि फतेहवीर जिंदगी से फ़तेह हासिल नहीं कर पाया