यह एक बहुत बड़ी विडंबना है कि किस भी साधारण सी बात को सियासी रंग देने में नेता कोई गुरेज नहीं करते। अभी हाल ही में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर में हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा दिया कि बड़े शर्म की बात है कि आज एक गाय की जान की कीमत एक पुलिस ऑफिसर की जान से ज्यादा हैं। इसी बात पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उन्होनें कहा कि आज उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर फिक्र होती है। उनका इतना कहना भर था कि राजनीतिक पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
यहां तक कि बलिया के विधायक सुरेंद्र सिंह ने तो उनके भारतीय होने पर भी सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि शाह पाकिस्तान चले जाएं उनके लिए वीजा और टिकट का प्रबंध मैं करवाता हूँ। यही नहीं उन्होंने कश्मीरी पंडितों के मुद्दा उठाते हुए यह भी कहा कि शाह बनावटी बात बोल रहे हैं और उन्हें कश्मीरी पंडितों के दर्द समझ नहीं आता। पाक सीमा पर मरने वाले सैनिकों का दर्द एक अभिनेता की समझ में नहीं आएगा। यही नहीं शाह के बयान पर अभिनेता अनुपम खेर ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा। कि इस देश में इतनी आज़ादी है कि एक आदमी खड़े होकर सेना को गाली दे सकता है, उस पर पत्थर बरसा सकता है । अगर इस पर भी आपको आज़ादी की चिंता है तो इसका मतलब यह नहीं कि जो आप बोल रहे हों वही सच हो।
इन सभी तीखी प्रतिक्रियाओं के बीच अभिनेता आशुतोष राणा शाह के बचाव में बोले कि भारत में हर किसी को अपने मन की बात कहने का अधिकार है। अपनी बात रखने पर किसी का सामाजिक ट्रायल सही नहीं है।