पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। प्रदेश के कुल 117 सीटों में से आम आदमी पार्टी (AAP) इस 92 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की है वहीं कांग्रेस 18 और बीजेपी 2 सीटसीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की है वहीं कांग्रेस 18 और बीजेपी 2 सीटों पर जीती है।
आम आदमी पार्टी (AAP) के जीतने के कई कारण हैं
1)भगवंत मान को सीएम पद के लिए उम्मीदवार चुनना – आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस बारआम आदमी पार्टी ने इस बहाने स्पष्ट तरीके से अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार भगवंत मान को घोषित किया।
साल के शुरुआत से ही पंजाब में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे को लेकर संशय बना हुआ था। पंजाब में आम आदमी पार्टी के लगभग आधे उम्मीदवार दूसरी पार्टियों से निकल करपंजाब में आम आदमी पार्टी के लगभग आधे उम्मीदवार दूसरी पार्टियों से निकलकर ‘आप’ में शामिल हुए थे।
लेकिन इस बार पार्टी आला कमानलेकिन इस बार पार्टी आलाकमान ने वक्त रहते फैसला लिया और भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चेहरे के रूप में पेश किया। इसलिए पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं के बीच रेफरेंडम भी करवाया।
2) पर्दे के पीछे के खिलाड़ी – पंजाब चुनाव को ज़मीनी स्तर पर देख रहे राजनीतिक जानकार सागर बिश्नोई ने बताया कि पंजाब में पार्टी के रणनीतिकार संदीप पाठक की अहम भूमिका रही है. संदीप आईआईटी से पढ़े हैं, लंदन रिटर्न हैं. वो पहले जानेमाने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ भी काम कर चुके हैं.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान के फ़ैसलों को लागू करवाने के पीछे संदीप पाठक का ही हाथ रहा है. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बताया था कि 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का अभियान साल भर पहले ही अपने शीर्ष पर पहुंच गया था. पार्टी को पहले ही ढेर सारी सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था और अभियान ख़त्म होने का वक्त आते-आते अभियान ही बिखर गया था.
लेकिन इस बार के चुनाव में ऐसा नहीं हुआ. संदीप पाठक के नेतृत्व में उनके पांच जूनियरों की एक टीम बनी जो ख़ुद भी सोशल मीडिया और चुनाव की लाइमलाइट से दूर रही.
पंजाब को पांच ज़ोन में बांटा गया और एक व्यक्ति को एक ज़ोन की ज़िम्मेदारी दी गई. हर ज़ोन का पूरा अध्ययन करने के बाद उन्होंने चुनाव के लिए उम्मीदवारों को चुनने में मदद की. साथ ही यह भी पता लगाया गया कि किस उम्मीदवार को टिकट देने से किस प्रकार की नाराज़गी फैल सकती है. समय रहते पार्टी ने इसका हल भी निकाला.
पंजाब में इस तरह की मैनेजमेंट से पार्टी को बड़ी मदद मिली. संदीप पाठक ने इससे पहले 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी के अभियान को मैनेज किया था जिसमें पार्टी को बड़ी जीत मिली थी.
3)बदलाव के लिए वोट – आम आदमी पार्टी ने अपने अभियान में शुरू से ही ये नैरेटिव सेट किया कि पिछले बीस साल से जनता ने अकाली दल, बीजेपी या कांग्रेस का शासन देखा है, इसलिए इस बार नई पार्टी को वोट देकर देखा जाए.
साथ ही पार्टी ने अपने दिल्ली मॉडल पर ख़ासा ज़ोर दिया जिसे वो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार का मॉडल कहती है. उन्होंने तीन सौ यूनिट फ़्री बिजली और 18 साल से ऊपर की औरतों को हज़ार रुपये महीना देने जैसे वादे भी किए हैं. वहीं, किसान आंदोलन की वजह से कृषि से जुड़ी समस्याएं भी चर्चा में आईं और इसे लेकर पुरानी सरकारों की नाकामियों पर भी चुनाव में काफ़ी चर्चा थी.
4)मालवा का कैंपेन – मालवा पंजाब का सबसे बड़ा क्षेत्र है, प्रदेश की 117 विधानसभा सीटों में से 69 इसी क्षेत्र में पड़ती हैं.
2017 के चुनाव में पार्टी ने कुल 20 सीटें जीती थीं जिसमें से 18 मालवा क्षेत्र की थीं. किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र भी यही क्षेत्र था.
पार्टी ने इस बार भी मालवा पर ज़्यादा ध्यान दिया. मालवा को तीन ज़ोन में बांटा गया था और यहां पार्टी ने ज़ोरदार अभियान चलाया. चुनाव के नतीजे बताते हैं कि पार्टी को यहां साठ से ज़्यादा सीटें मिली हैं.