- पेट्रोल और डीजल की कीमत में वृद्धि थोड़े-थोड़े अंतराल पर की जाएगी।
- सरकारी तेल कंपनियों द्वारा वहान ईधन की खुदरा कीमत तय करने के लिए नई रणनीति है।
- तेल कंपनियां खुद फैसला करेगी कि खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी कितने अंतराल पर करनी है।
- हालांकि यह तय है कि वृद्धि का यह सिलसिला लंबा चलेगा।वजह यह है कि नवंबर 2021 से मार्च 2022 के मध्य तक तेल कंपनियों ने कीमतों में कोई फेरबदल नहीं किया है।
तेल कंपनी को हुआ बड़ा घाटा:-
- मूडीज के रिकॉर्ड के मुताबिक भारतीय पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को ₹19000 करोड़ का घाटा हुआ है
- 2021 में भारत ने औसतन 89.04 डॉलर प्रति बैरल की दर से कुरू की खरीद की थी।
- जनवरी 2022 में यह बढ़कर 97.09 डॉलर प्रति बैरल हो गई और फरवरी 2022 में 108.70 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
क्रूड के बड़े दाम:-
- क्रूड खरीद के आंकड़ों से साफ है कि सरकारी तेल कंपनियों के लिए करोड़ की लागत लगातार बढ़ती गई है।
- इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए भी 73.92 के स्तर से बढ़कर 77 के स्तर पर आ गया है।
- डॉलर के मुकाबले रूपए का गिरता स्तर तेल कंपनियों के लिए क्रूड की लागत को और बढ़ा देता है।
- पश्चिम बंगाल असम समेत पांच राज्यों के चुनाव के दौरान भी तेल कंपनियों ने कीमतें नहीं बढ़ाई थी लेकिन इसके बाद तकरीबन 2 महीने तक रोजाना 35 पैसे की वृद्धि की थी इस बार हो जाना वृद्धि की संभावना कम है।