देश के सबसे बड़े कॉफी हब कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के मालिक व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएस कृष्णा के दामाद 60 वर्षीय विजय सिद्धार्थ ने खुदकुशी कर ली। उनका शव बुधवार सुबह मेंगलुरु की नेत्रावती नदी से मिला। वो सोमवार से ही लापता थे जिसकी जानकारी उनके ड्राइवर ने दी। ड्राइवर से पूछताछ से पता चला कि वह सिद्धार्थ जी के साथ उल्लाल शहर में स्थित पुल तक घूमने के लिए गए थे उन्होंने पुल से थोड़ा दूर कर रुकवाई और पैदल ही घूमने निकल पड़े लगभग 90 मिनट तक जब वह वापस ना आए तो उसने पुलिस को सूचना दी।
ठहराया ख़ुद को जिम्मेवार
27 जुलाई को सिद्धार्थ का लिखा एक पत्र मिला जिसमें उन्होंने इक्विटी पार्टनर और कर्ज दाताओं के दबाव का जिक्र किया था उन्होंने अपने पत्र में यह लिखा कि मैं बिजनेस में नाकामयाब रहा लंबे समय तक संघर्ष भी किया , इतनी मेहनत और प्रयास करने के बावजूद भी मुनाफे वाले बिजनेस नहीं कर पाया अब मैं कर्जदाताओं का दवाब झेल नही सकता । मेरी मौत का जिम्मेदार मैं खुद हूँ मेरी प्रार्थना है कि मेरे बिजनेस को नई मैनेजमेंट के साथ आगे बढ़ाते रहना है। मेरे और मेरे परिवार ऑडिट्स को किसी भी ट्रांजैक्शन की कोई जानकारी नहीं है कानून सिर्फ मुझे ही इसका जिम्मेदार ठहराए मेरे परिवार या अन्य किसी को इस बारे में नहीं बताया उन्हें यह भी लिखा कि मेरा किसी को गुमराह करने का या धोखा देने का कोई इरादा नहीं है एक बिज़नेसमैन नाते में सफल नहीं हो पाया इसलिए मैं सब से माफी मांगता हूं । उन्होंने अपने पत्र में अपनी सारी संपत्ति का ब्यौरा भी दिया और यह भी कहा कि मेरी संपत्ति से ज्यादा मेरी देनदारी है । सभी वित्तीय लेन-देनों के लिए मैं जिम्मेदार हूं। मेरी टीम, ऑडिटर्स और सीनियर मैनेजमेंट को मेरे ट्रांजेक्शंस के बारे में जानकारी नहीं है।
लिया सहयोग
सोमवार जब से वो लापता हुए है तब से 25 तैराकों की टीम सहित 200 लोग उनको ढूंढने में लगे हुए थे। इसके लिए कोस्ट गार्ड के जहाज, आईसीजीएस राजदूत और एसीवी (एच-198) का भी सहयोग लिया गया । मैंगलौर के विधायक यूटी खादर ने कहा कि सिद्धार्थ के परिवार और दोस्तों रिश्तेदारों ने शव की पहचान कर ली है । पुलिस ने कहा है कि पूरा मामला आत्महत्या का लग रहा है इसलिए आत्महत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है ।
कारोबारियों की राय
विजय सिद्धार्थ की आत्महत्या के बाद अलग अलग कारोबारियों की टिप्पणिया आ रही है। महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा की उनके वित्तीय हालातों के बारे मुझे नही पता पर बिजनेस में कामयाब ना होने से आत्मसमान नही खोना चाहिए।
विजय सिद्धार्थ के जीवन के उतार चढ़ाव
विजय सिद्धार्थ का जन्म कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में हुआ था। उनके बड़े बुजुर्ग 140 साल से कॉफी के व्यापार से जुड़ा हुआ है। इसके चलते सिद्धार्थ ने भी इसी काम को तरजीह देते हुए 1993 को कॉफी-डे ग्लोबल की शुरुआत की। उस वक्त रेवेन्यू सिर्फ 6 करोड़ रुपए था जो कि दिन प्रति दिन बढ़ता गया और वित्त वर्ष 2017-18 में ये रेवेन्यू 1,777 करोड़ रुपए हो गया पिछले वित्त वर्ष में 1,814 करोड़ रुपए पहुंच गया। इस वर्ष 2,250 करोड़ रुपए रेवेन्यू की उम्मीद है। इतनी बढ़त होते हुए भी कॉफी बिजनेस समेत अन्य कारोबारों में नकदी संकट से जूझ रहे थे जिसके लिए पिछले महीने सिद्धार्थ ने माइंडट्री कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) को 3,000 करोड़ रुपए में बेची थी। कर्नाटक में सीसीडी के पास 12,000 एकड़ जमीन में कॉफी का प्लांटेशन है। इस साल मार्च तक देशभर में सीसीडी के 1,752 कैफे थे।