विक्रम लैंडर के साथ संपर्क टूटा: ISRO
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ISRO के अधिकारी ने जानकारी दी है कि हमने Chandrayaan 2 से संपर्क खो दिया है और हमारी टीम लगातार उससे संपर्क करने की कोशिश में लगी है। इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले ही कुछ तकनीकि समस्या की वजह से उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के अध्यक्ष सिवन ने कहा कि ‘‘विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा रहा था और इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया है आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।’’ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो की टीम संपर्क टूटने का पता लगा रही है।
जानकारी के अनुसार विक्रम को रात 1:30 बजे से 2:30 बजे के बीच चांद की सतह पर उतरना था. लेकिन उससे पहले ही संपर्क टूट गया था। चंद्रयान-2 मिशन से करीब से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना बहुत ही मुश्किल है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र पंहुचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की उपलब्धि को देखने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेंगलुरु में इसरो के मुख्यालय पहुँचे थे. पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि आप निराश न हो. मैं यह सिर्फ आपको खुश करने के लिए नहीं कह रहा है, मुझे पता है कि आप ही वो लोग हैं जिन्होंने अपने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह पर पहुंचने में सफलता हासिल की थी. हम चांद पर भी सफल होंगे.
चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ भारत का पहला मिशन था जो स्वदेशी तकनीक से बना था और चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था। लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था।
लैंडर सौर ऊर्जा से चलने वाली तकनीक से बना था इसरो के मुताबिक लैंडर में सतह और उपसतह पर प्रयोग करने के लिए तीन उपकरण लगे थे जबकि चंद्रमा की सहत को समझने के लिए रोवर में दो उपकरण लगे थे। मिशन में ऑर्बिटर की आयु एक साल है। सबकुछ ठीक तरीक़े से चल रहा था और वैज्ञानिक हर क़दम पर नज़र रखे हुए थे।